निक ऐस्तेस

इवो मोरलेस के मूल निवासी समर्थक बोलिविया की राजधानी में पुलिस से संघर्ष करते हुये     

जब इवो को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था,  मेरा पाप ये था कि मैं आदिवासी समुदाय से हूं, वामपंथी हूं और साम्राज्यवाद का विरोधी हूं.
                                            

इवो मोरालेस बोलीविया के पहले आदिवासी राष्ट्रपति से भी कहीं बढ़कर, हमारे अपने राष्ट्रपति हैं। साल 2006 में देश के एक साधारण आएमारा कोका किसान का देश के सर्वोच्च कार्यालय तक पहुंचना इतिहास के अगुवा दस्ते के रूप में आदिवासी समुदायों की आमद का संकेत था। जो सामाजिक आंदोलन उन्हें सत्ता तक लेकर आए थे, उनके माध्यम से समाजवाद की एक आदिवासी कल्पना विकसित हुई और पांचामामा (एन्डीयन धरती मां) के मूल्य सामने आए। इवो मोरालेस हमारे गोलार्द्ध में पांच सदियों की आदिवासी समुदायों की वंचना और संघर्षों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

लिहाजा, इवो मोरालेस के खिलाफ तख्तापलट असल में आदिवासी लोगों के खिलाफ तख्तापलट है।

राज्य-विरोधी वामपंथ से लेकर दक्षिणपंथ तक इवो मोरालेस के आलोचक उनकी नाकामियों को गिनाने से पीछे नहीं हटते। मगर उनके खिलाफ हाल ही में जो हिंसक प्रतिक्रिया हुई है, वह उनकी विफलताओं की वजह से नहीं बल्कि उनकी सफलताओं का परिणाम है।

इवो और आदिवासी जन के नेतृत्व वाली उनकी पार्टी - मूवमेंट फॉर सोशलिज़्म (स्पेनिश में एमएएस) ने मुख्य उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया और सामाजिक व्यय को बढ़ाने के लिए साहसिक कदम उठाए जिसकी वजह से भीषण गरीबी आधी कम हो गई है, वह बोलीविया के गिनी कोएफीसिएंट (आर्थिक असमानता का पैमाना) को 19 प्रतिशत तक नीचे लेकर आए। इवो और एमएएस के कार्यकाल के दौरान बोलीविया की आदिवासी जनता को पहली बार गरीबी के ऊपर आने का अवसर मिला है जबकि संख्या की दृष्टि से वे बहुमत में हैं।

इवो की उपलब्धियां सिर्फ आर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं थीं। बोलीविया ने आदिवासियों के अधिकारों के क्षेत्र में भी एक लंबी छलांग लगाई है।

एक जमाने में हमारी देशी भाषाएं और संस्कृति समाज के हाशिए पर धकेल दी जाती थीं मगर अब उन्हें बोलीविया के विविधतापूर्ण मॉडल में समाहित कर लिया गया है। एक-दूसरे के साथ तथा प्रकृति के साथ समन्वय में रहने की एन्डीयन अवधारणा - बीएन विविर - को देश के संविधान में शामिल किया गया और वह संस्थागत सुधारों और सामाजिक प्रगति की कसौटी बनी है। देसी बहुरंगी झंडे विफाला को तिरंगे के साथ राष्ट्रीय झंडे के रूप में मान्यता दी गई है और देश की 36 आदिवासी भाषाओं को स्पेनिश के समानांतर अधिकृत राष्ट्रीय भाषाओं का दर्जा दिया गया है।

इवो का आदिवासी  समाजवाद अंतर्राष्ट्रीय मूल निवासी समुदायों के लिए एक ध्वजवाहक बन गया है। प्रख्यात माओरी न्यायविद मोआना जेक्सन ने बोलीविया के 2009 के संविधान को एक बार ‘’मूल निवासी कोपापा (एक सामुदायिक दृष्टि से उपजे) संविधान की सबसे निकट अभिव्यक्ति’’ कहा था।

आदिवासी  समाजवादी परियोजना ने वह लक्ष्य हासिल कर लिया है जिसे हासिल करने में नवउदारवाद बार-बार विफल रहा है। उसने देश की संपदा का समाज के सबसे निर्धन तबकों के बीच बंटवारा किया है और हाशिए के लोगों को ऊपर उठाया है। इवो मोरालेस और एमएएस के नेतृत्व में बोलीविया ने खुद को एक संसाधन उपनिवेश की हैसियत से आजाद कराया है। तख्तापलट से पहले इवो ने अपने विशाल लीथियम भंडार के राष्ट्रीयकरण का प्रयास किया। लीथियम बिजली की कारों के निर्माण के लिए एक अनिवार्य धातु होती है। इस तख्तापलट के बाद से टेसला के शेयर आसमान पर पहुंच गए हैं। बोलीविया ने समाज के मुनाफे को समाज के सारे तबकों के बीच बांटने के लिए संसाधन राष्ट्रवाद के रास्ते पर चलकर संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा को बड़ा झटका दिया है।

यही इवो का अपराध था।

पिछले हफ्ते जब इवो को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था,  मेरा पाप ये था कि मैं आदिवासी समुदाय से हूं, वामपंथी हूं और साम्राज्यवाद का विरोधी हूं.

उनके स्थान पर आए जेनिन आन्येज़ शावेज़ भी इस बात से सहमत हैं। 2013 में विपक्ष में रहते हुए उन्होंने ट्वीट किया था, मैं एक ऐसे बोलीविया का सपना देखता हूं जो शैतानी आदिवासी अनुष्ठानों से मुक्त होगा, इंडियन मूल के लोग शहरों में नहीं होंगे और उन्हें पहाड़ों की चोटियों या चाको में ही रहना चाहिए!!!  इवो के पद छोड़ने के बाद शावेज़ ने बाइबल की मोटी किताब हाथ में लेकर खुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया है हालांकि उनके पास सीनेट में राष्ट्रपति पद पर रहने के लिए जरूरी कोरम भी नहीं था।

शावेज़ की बगल में लुई फ़र्नांडो कामाचो खड़ा था जो ईसाई चरमपंथी गुट का सदस्य है। इवो के इस्तीफे के बाद कामाचो एक हाथ में झंडा और दूसरे हाथ में बाइबिल लिए राष्ट्रपति भवन में घुस गया। कामाचो के बगल में खड़े एक पादरी ने कहा,  बाइबिल फिर से सरकारी महल में लौट आई है। अब पांचामामा कभी वापस नहीं लौटेगा। आज ईसा मसीह सरकारी महल में लौट रहे हैं। बोलीविया ईसा मसीह का है

जिन इलाकों में विपक्ष बहुत मजबूत है, वहां आदिवासी गौरव के प्रतीक विफाला झंडा को झुका दिया गया या जला दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने अपनी वर्दी से इन झंडों को नोच कर फेंक दिया। ये छोटे-छोटे सांकेतिक कृत्य थे जिनसे देखते-देखते सड़कों पर हिंसा होने लगी। एमएएस सदस्यों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इवो के घर में भी जम कर तोड़-फोड़ की गई। मुंह पर कपड़ा लपेटे हथियारबंद लोग एमएएस के संभावित समर्थकों और मूल निवासी लोगों को घेरने लगे, वे उन्हें ट्रकों में भरकर ले जाने लगे। कुछ प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी गई। जिन सामाजिक आंदोलनों ने इवो और एमएएस को सत्ता में पहुंचाया था वही अब अपनी आदिवासी क्रांति की इन उपलब्धियों के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।

20 अक्तूबर को इवो के दोबारा चुनाव जीतने के बाद से आदिवासी समुदायों के विरुद्ध नस्ली घृणा फैलती जा रही है। वामपंथी आलोचक इवो के खिलाफ गोलबंद हो रहे हैं और उस तख्तापलट के लिए उन्हीं को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जिसने उनको पद से हटा दिया था। अभी तक चुनावों में किसी धांधली का कोई सबूत सामने नहीं आया है। ऑर्गेनाइजेशन आफ अमेरिकन स्टेट्स ने भी अनियमितताओं का हवाला दिया है हालांकि अभी तक उसका कोई दस्तावेजी सबूत पेश नहीं किया गया है। सेंटर फॉर इकोनॉमिक ऐण्ड पॉलिसी रिसर्च द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चुनावों में कोई अनियमितता या धोखाधड़ी नहीं हुई है।

अपने आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए इवो मोरालेस ने पुनः मतदान का भी प्रस्ताव रखा मगर फौज के हुक्म और दक्षिणपंथी हिंसा के माहौल में उन्हें इस्तीफा देने के लिए बाध्य कर दिया गया। बंदूक की नोक पर कोई इस्तीफा नहीं दिया करता। जाहिर है ये तख्तापलट की घटना थी।

अपनी हत्या की आशंका को देखते हुए इवो को मैक्सिको में जाकर छिपना पड़ा जहां उन्हें राजनीतिक शरण दी गई और विशाल जनसमूह ने उनका स्वागत किया। आज बोलीविया का भविष्य सड़कों पर पहुंच चुका है, पिछले चुनावों में इवो को वोट देने वाले लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं जिनमें से 47 प्रतिशत लोगों की आवाज और वोट को पुराने, औपनिवेशिक गिरोहों की वापसी ने घूरे पर डाल दिया है। कई आलोचक अभी भी ये कहते हैं कि इवो का 13 साल का कार्यकाल बहुत लंबा रहा मगर वे इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने ही इवो मोरालेस को एक और कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी। पांच सदियों के औपनिवेशीकरण के बाद हमारे मूल निवासी राष्ट्रपति के लिए 13 साल कोई लंबा समय नहीं था।

हाल ही में इवो ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए अठारहवीं शताब्दी के आदिवासी प्रतिरोध नेता टयूपेक कातारी को उद्धृत करते हुए कहा था, ‘हम वापस आएंगे और जैसा कि टयूपेक ने कहा था, हम लाखों होंगे।


निक ऐस्तेस लोअर ब्रूल स्यू ट्राइब के नागरिक हैं। वे न्यू मैक्सिको युनिवर्सिटी में अमेरिकन स्टडीज विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। 2014 में उन्होंने दि रेड नेशन की स्थापना की थी जो एक आदिवासी प्रतिरोध संगठन है। वह आवर हिस्ट्री इज़ दि फ़्यूचर: स्टैंडिंग रॉक वर्सेज़ दि डकोटा एक्सेस पाईपलाईन, तथा लॉन्ग ट्रेडिशन ऑफ इंडिजिनस रेज़िस्टेंस (वर्सो 2019) किताबों के लेखक हैं।

यह लेख गार्डियन अखबार में प्रकाशित उनके लेख का अनुवाद है।

अनुवाद : योगेन्द्र द्त्त