क्रांतिकारी मार्क्सवाद के सह-संस्थापक फ्रेड्रिक एंगेल्स का जन्म 28 नवम्बर 1820 को जर्मनी के बार्मेन शहर में हुआ था। वे उन्नीसवीं सदी के यूरोप के समाजवादी आन्दोलन के नेता ही नहीं बल्कि अपने समय के अग्रणी विचारक भी थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने बीसियों पुस्तकें, पेम्फ़्लेट, अखबारों के लिये लेख लिखे। प्रसिद्ध ब्रिटिश जीव वैज्ञानिक जे बी एस हाल्डेन के शब्दों में एंगेल्स ‘शायद अपने समय के सबसे व्यापक रूप से शिक्षित व्यक्ति थे। उनको अर्थ शास्त्र इतिहास का ही गहरा ज्ञान ही नहीं था, बल्कि उनकी जानकारी इतनी  पर्याप्त थी कि वे रोमन विवाह के कानून से सम्बन्धित किसी दुरूह लैटिन कथन पर चर्चा कर सकते थे, या इस बात पर कि जब अशुद्ध जस्ते को सल्फ़्यूरिक एसिड में डाला जाता है तो क्या क्या रासायनिक क्रियायें होती हैं।  और इतना सारा ज्ञान उन्होंने बन्द कमरे में अध्ययन से प्राप्त नहीं किया बल्कि सक्रिय राजनीति, सफ़ल व्यवसाय, और यहां तक कि लोमडियों के शिकार के शौक के साथ साथ अर्जित किया। ’ (डायलेक्टिक्स आफ़ नेचर के अँग्रेजी अनुवाद की प्र्स्तावना से ) डेढ सौ साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भी उनकी तीन पुस्तकें आज के समय के समाज विज्ञान, विज्ञान, इतिहास शोध के सन्दर्भ में  विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। ये तीन पुस्तकें हैं (1) कण्डीशन आफ़ वर्किंग कलास इन इंगलैंड, (2) ओरिजिन ओफ़ फैमिली, प्राइवेट प्रोपर्टी एंड स्टेट,  और (3) डायलेक्टिक्स आफ़ नेचर।

  इस अंक में दो लेखों के संक्षिप्त अनुवाद दिये जा रहे हैं  जो डायलेक्टिक्स आफ़ नेचर  तथा ओरिजिन आफ़ फैमिली की वर्तमान प्रासंगिकता को स्पष्ट करते हैं। जॉन बेलामी फोस्टर के लेखएन्थ्रोपोसीन युग में एंगल्स  का डाईलेक्टिकस आफ़ नेचर से पता चलता है कि कैसे एंगेल्स की व्याख्याओं का द्वंद्वात्मक भौतिकवादी दृष्टिकोण प्रकृति के साथ मानवता के संबंधों के विरोधाभासी स्वरूप को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरा अनुवाद प्रसिद्ध मार्क्सवादी नारीवादी विचारक एलेनोर बर्क लीकोक की सन 1971 में एंगेल्स की दूसरी पुस्तक के पुनर्प्रकाशित संस्करण की भूमिका का है। यह मानवशास्त्रीय अनुसंधान में उनके विचारों के बारे में कुछ सामान्य गलतफहमियों को रेखांकित  करता है। फ़ोस्टर का लेख मन्थली रिव्यू पत्रिका के नवम्बर 2020  के अंक में प्रकाशित हुआ था।